मुजफ्फरनगर जनपद में चरथावल के गांव दधेडू खुर्द के जिस घर में दो बच्चों
से रोशनी थी, उसी घर में मातमी सन्नाटा पसरा है। परिवार और गांव में चारों
तरफ कोहराम मचा है। भाई-बहन के शव गांव पहुंचे, तो हर कोई फफक पड़ा।
परिजनों ने पोस्टमार्टम कराने से इनकार कर दिया। गमगीन माहौल में भाई-बहन
को सुपुर्द-ए-खाक किया गया।
कछौली मार्ग पर सेवानिवृत्त हेड मास्टर मोहम्मद निहाल के छोटे बेटे सलीम
अख्तर उर्फ नौशाद का मकान और घेर है। सलीम का बेटा समीर और बेटी महा
मुजफ्फरनगर में जीडी गोयनका पब्लिक स्कूल में पढ़ते थे। परिवार का सपना था
कि दादा की तरह दोनों बच्चे उच्च शिक्षा ग्रहण करें, लेकिन हादसे ने सपने
छीन लिए
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गुरुवार सुबह 7.30 बजे पिता ने दोनों को स्कूल बस से मुजफ्फरनगर भेजा था। बस के रवाना होने के चंद मिनटों में स्कूल बस दुर्घटना की खबर समीर के साथी नबील (सोनू) को मिली, तो हड़कंप मच गया। पिता सलीम आनन-फानन कार लेकर घटनास्थल पर पहुंच गए। वहां पहुंचे तो मालूम हुआ उनके बच्चों को जिला अस्पताल से मेरठ रेफर कर दिया गया है। परिवार मेरठ की तरफ चल दिया।
परिजनों ने बताया कि मेरठ टोल प्लाजा के समीप निजी हॉस्पिटल पहुंचने पर दोनों बच्चों को मृत घोषित कर दिया। बच्चों की मां शबनम का रो-रोकर बुरा हाल हो गया। पीड़ित परिजनों के घर और घेर में शोक जताने के लिए लोगों की भीड़ जमा हो गई। बच्चों के दादा निहाल को हर कोई सांत्वना दे रहा था। शाम 4.15 पर एंबुलेंस से दोनों बच्चों के शव गांव पहुंचे। मौके पर काफी संख्या में लोग उमड़ पड़े।
कोरोना के कारण दो साल पहले सऊदी से लौटा था सलीम का परिवारमृतक बच्चों के दादा निहाल ने बताया कि सलीम अरसे से परिवार सहित सऊदी अरब में रहता था। विदेश में जॉब करने के दौरान गांव दधेडू खुर्द में ही उसकी शादी इमरान की बेटी शबनम से हुई थी। दपंती सऊदी में रहा और दो साल पहले वहां से लौटा था। उनके दोनों बच्चे भी सऊदी अरब में ही हुए थे। करीब 12 साल विदेश में एक कंपनी में बतौर कंप्यूटर इंजीनियर की नौकरी की।
वहीं कोरोना संक्रमण के प्रकोप के कारण वह दो साल पहले परिवार सहित गांव लौट आए थे। यहां शहर में ट्रैवल्स एजेंसी खोल रखी है। करीब दो साल पहले दोनों बच्चों का एडमिशन मुजफ्फरनगर के जीडी गोयनका स्कूल में करा दिया था। कोविड बंदिश के बाद सोमवार से ही स्कूल खुलने पर बच्चों ने बस से जाना शुरू किया। मृतक बच्चों के ताऊ नसीम दिल्ली में वैज्ञानिक हैं। वह सूचना मिलने के बाद दिल्ली से मेरठ हॉस्पिटल पहुंचे थे।
हर आंख में आंसू, हर घर में गम
घर-आंगन में खुशियां बदरंग हो गईं। हंसते खेलते भाई-बहन कभी वापस नहीं
लौटेंगे, किसी ने नहीं सोचा था। इस घटना से सभी हैरान और परेशान हैं। समीर
के साथ रोजाना घेर में क्रिकेट खेलने वाले दोस्त दुखी और मायूस है। पड़ोसी
दोस्त मोहम्मद जकी, जमीर, हमजा और हम्माद बेसब्री से नाना के घेर में
ग्रामीण के मोबाइल फोन में घटना की वीडियो देखकर बेचैन थे।
हादसे में मृतक भाई-बहन
महा अख्तर (07), कक्षा दो
समीर अख्तर (15), कक्षा छह
हादसे में घायल
- दीपक (42), चालक
- श्रीकांत शर्मा (32), चालक
- रजनी (32), परिचायिका
- लक्षित (16), कक्षा छह
- तक्षित (18), कक्षा 11
- अस्मित (14), कक्षा 10
- अक्सरा (11), कक्षा सात
- आहान मलिक (11), कक्षा 10