पूजा हत्याकांड-ददुआ के दिव्यानंद आश्रम पर बेटे ने लगाया बदनामी का दाग

 


उन्नाव। करीब 20 वर्ष पूर्व फतेह बहादुर सिंह उर्फ ददुआ ने कब्बाखेड़ा स्थित जिस दिव्यानंद आश्रम की आधार शिला रखी, बेटे रजोल सिंह उर्फ अरुण ने ही उसी धार्मिक स्थान पर बदनामी का दाग लगा दिया। उन्होंने अपने जीवनकाल में खुद की कमाई व जन सहयोग से आश्रम में देवी-देवताओं के मंदिर बनवाए उसी आश्रम परिसर में एक कोठरी में बेटे ने युवती की हत्या कर शव को जमीन पर सात फीट गहरे गड्ढे में दबा दिया। लोगों का कहना है कि बेटे के इस कृत्य से ददुआ की आत्मा जरूर कलपी होगी।


सपा सरकार में उत्तर प्रदेश कोऑपरेटिव बैंक के चेयरमैन रहे स्व. फतेह बहादुर द्वारा बनाए गए जिस आश्रम से सैकड़ों लोगों की धार्मिक आस्था जुड़ी रही, आज वहां पुलिस और मीडिया का जमावड़ा है। जघन्य हत्याकांड के खुलासे के बाद से दर्शनार्थियों की भीड़ नदारद है। पुलिस और मीडिया के लोगों की आवाजाही से आसपास के

लोगों में भी कौतूहल जरूर है। हर कोई घटना की भर्त्सना कर रहा है। लोगों का कहना है कि पुलिस गहनता से जांच करे तो आश्रम परिसर में छिपे कई और राज बाहर आ सकते हैं। आश्रम में कब कौन पहुंच रहा है, इस पर भी नजर रखी जा रही है।
उन्नाव। दिव्यानंद आश्रम परिसर में अलग-अलग स्थानों पर छह सीसीटीवी कैमरे लगे हैं, लेकिन सभी खराब हैं। आश्रम परिसर में प्रवेश के लिए दो गेट हैं। मुख्यद्वार से आश्रम में प्रवेश व पीछे के हिस्से तक जाने के लिए एक और गेट भी है। इस गेट से चार पहिया वाहन आसानी से जा सकते हैं। आश्रम में ज्यादातर सीसीटीवी कैमरे मुख्यमार्ग से दिवंगत फतेहबहादुर के बड़े बेटे अशोक सिंह के कमरों तक लगे हैं।
2005 में हत्यारोपी रजोल का कल्याणी मोहल्ला स्थित घर में संपत्ति को लेकर पिता फतेह बहादुर से झगड़ा हुआ था। ग्रामीणों के मुताबिक घटना से पिता फतेह बहादुर इस कदर क्षुब्ध हुए कि उन्होंने घर छोड़ दिया और इसी आश्रम में रहने लगे थे। आश्रम के बाहरी हिस्से में दूसरे गेट के पास उन्होंने अपने लिए छोटा सा घर बनवाया और वहीं रहने लगे थे। इसके बाद वह अपने पुराने घर कभी नहीं गए।
फतेह बहादुर सिंह का पांच जुलाई 2016 को निधन हो गया था। निधन के दूसरे आश्रम में शनि मंदिर और हनुमान मंदिर की प्राणप्रतिष्ठा होनी थी, लेकिन अनुष्ठान से पूर्व ही उनका निधन हो गया था। आश्रम की देखभाल कर रहे विनोदानंद ने बताया कि 2010 में आश्रम में बड़ा संत सम्मेलन हुआ था। सम्मेलन में कई शंकराचार्य और 300 दंडी स्वामी भी आए थे। यहां महालक्ष्मी का भव्य मंदिर निर्माणाधीन है।
दिव्यानंद आश्रम करीब पंद्रह बीघे में फैला है। आश्रम ट्रस्ट का गठन करने से पहले ही फतेहबहादुर का निधन हो गया। परिवार में आश्रम और इससे जुड़ी खाली जमीन की वरासत दर्ज कराने की प्रक्रिया पूरी कराई जा रही है।
आश्रम स्थित जिस घर में फतेहबहादुर रहते थे वह उनके बड़े बेटे व पूर्व ब्लाक प्रमुख अशोक सिंह के पास है, जबकि इसी परिसर में बने कई कमरों में रजोल का कब्जा है। रजोल प्रापर्टी डीलर है। एक साल पहले रजोल का परिवार के लोगों से जमीन बंटवारे को लेकर विवाद भी हुआ था। आश्रम के पीछे स्थित छह बीघे सरकारी तालाब का अधिकांश हिस्सा अवैध रूप से आश्रम में मिला लिया गया है।

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